Hanuman Aarti



श्री हनुमान जी की आरती

आरती कीजे हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांके।

अंजनी पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई।

दे वीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाई।

लंका सी कोट समुद्र सी खाई, जात पवन सुत बार न लाई।

लंका जारि असुर सब मारे, राजा राम के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित परे धरनि पे, आनि संजीवन प्राण उबारे।

पैठि पाताल तोरि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे।

बाएं भुजा सब असुर संहारे, दाहिनी भुजा सब सन्त उबारे।

आरती करत सकल सुर नर नारी, जय जय जय हनुमान उचारी।

कंचन थार कपूर की बाती, आरती करत अंजनी माई।

जो हनुमानजी की आरती गावै, बसि बैकुण्ठ अमर फल पावै।

लंका विध्वंस किसो रघुराई, तुलसीदस स्वामी कीर्ति गाई।


For complete meaning about Aarti please contact: vipin9582674712@gmail.com

New Delhi,India

Comments

Popular posts from this blog

॥श्री हनुमान स्तवन ॥

॥श्री हनुमान वंदना ॥

श्री राम स्तुति