श्री भैरव जी की आरती


श्री भैरव जी की आरती

सुनो जी भैरव लाड़िले, कर जोड़ कर विनती करूँ।
कृपा तुम्हारी चाहिए, मैं ध्यान तुम्हार ही धरूँ।

मैं चरण छूता आपके, अर्जी मेरी सुन लीजिए।
मैं हूँ मती का मन्द, मेरी कुछ मदद तो कीजिए।
महिमा तुम्हारी बहुत कुछ, थोड़ी सी मैं वर्णन करूँ। सुनो...

करते सवारी स्वान की, चारों दिशा में राज्य है।
जितने भूत और प्रेत, सबके आप ही सरताज हैं।
हथियार हैं जो आपके, उनका मैं क्या वर्णन करूँ। सुनो...

माता जी के सामने तुम नृत्य भी करते सदा।
गा गा के गुण अनुराग से, उनको रिझाते हो सदा।
एक सांकली है आपकी, तारीफ़ उसकी क्या करूँ। सुनो...

बहुत सी महिमा तुम्हारी, मेहंदीपुर सरनाम है।
आते जगत के यात्री, बजरंग का स्थान है।
श्री प्रेतराज सरकार के, मैं शीश चरणों में धरूँ। सुनो...

निशनिद तुम्हारे खेल से, माताजी खुश होती रहें।
सिर पर तुम्हारे हाथ रख कर, आशीष देती रहें।
कर जोड़ कर विनती करूँ, अरु शीश चरणों में धरूँ। सुनो...


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New Delhi,India

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